Children and their behaviour a major concern
आज समाज का नैतिक स्वरुप बीते कल के बच्चों और आज के नौजवानों के अनुसार ही तय होता है तो ठोस रूप से ये बात तय हो जाती है आज के नौनिहाल ही कल का सामाजिक स्वरुप बनाएंगे। तो इस बात का ख़ास ध्यान रखना पड़ेगा की आज हम उन्हें किस प्रकार के संस्कार और व्यावहारिक ज्ञान दे पाने में सक्षम हैं। बच्चे और सही आचरण एक वो विषय है जो आनेवाले समय के समाज का खाका तय करते हैं। घर पर हमारे i बच्चे नादानी में ही किसी को असभ्य भाषा के इस्तेमाल करते दिखे तो परिवार के हर सदस्य का फ़र्ज़ बनता है की वो उन्हें वहीं रोक कर ठीक करे और बच्चों के आचरण और व्यवहार पर अनुशासन बना कर रक्खे।
कुछ जरूरत और कुछ जरूरी कदम
भागम भाग और प्रतिस्पर्द्धा के इस दौर में अभिभावक खुद ही असभ्य भाषा के आदि हो गए हैं ,जो स्वयं ही जब न सुनाने योग्य बोली भाषा का प्रयोग करेंगे तो बच्चों को कैसे बताएँगे की सही क्या है। तो सबसे पहली बात अपने व्यवहार पर स्वयं के लिए कुछ नियम बनायें और अपने व्यवहार को इस तरह प्रदर्शन करें की बच्चे भी एक सीख की तरह आपको लें क्योंकि आप ही उनके रोल मॉडल हो। बस एक जरूरत है समझने की की क्या जरूरी है स्वयं को कुछ भी करने की छूट देना या बच्चों की परवरिश के हर पल में सजक रहना क्योंकि कल का समाज आज हमारे ही लिए निर्णयों से चलता और बनता है।
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